पीएम विश्वकर्मा योजना: कारीगरों और छोटे व्यवसायियों के लिए 3 लाख रुपये तक का लोन, जानें इस योजना के अन्य बड़े फायदे

पीएम विश्वकर्मा योजना का उद्देश्य छोटे कारीगरों और हस्तशिल्पियों को सशक्त बनाना है। योजना के तहत 3 लाख रुपये तक का लोन 5% ब्याज दर पर दिया जाता है। साथ ही, कौशल प्रशिक्षण, उपकरणों के लिए आर्थिक सहायता, डिजिटल लेन-देन और मार्केटिंग सपोर्ट जैसी सुविधाएं भी प्रदान की जाती हैं।

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने छोटे कारीगरों और दस्तकारों को आर्थिक सशक्तिकरण के लिए ‘प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना‘ (PM Vishwakarma Yojana) की शुरुआत की है। इस योजना का उद्देश्य कारीगरों को वित्तीय सहायता प्रदान कर उनकी आय में सुधार करना और परंपरागत हुनर को एक नई पहचान दिलाना है। इस योजना के तहत लाभार्थियों को 3 लाख रुपये तक का लोन बेहद आसान शर्तों पर दिया जाता है।

इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि पीएम विश्वकर्मा योजना क्या है, इसके तहत कौन लाभ उठा सकता है, लोन प्रक्रिया क्या है, और इस योजना से कारीगरों को अन्य कौन-कौन से फायदे मिलते हैं।

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क्या है प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना?

प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2023 को की थी और यह योजना 17 सितंबर 2023 से औपचारिक रूप से लागू हुई। इस योजना का मकसद छोटे कारीगरों और हस्तशिल्पियों को आर्थिक मदद देना है ताकि वे अपना व्यवसाय आगे बढ़ा सकें। खासतौर पर, परंपरागत रूप से काम करने वाले विश्वकर्मा समाज के कारीगरों को केंद्र में रखकर यह योजना बनाई गई है।

सरकार का मानना है कि लाखों कारीगर अपने पारंपरिक व्यवसाय के जरिए रोजगार पैदा कर सकते हैं, लेकिन संसाधनों की कमी के चलते वे प्रगति नहीं कर पाते। पीएम विश्वकर्मा योजना का उद्देश्य इन्हीं कारीगरों को वित्तीय सहायता और प्रशिक्षण देकर सशक्त करना है।

3 लाख रुपये तक का लोन कैसे मिलता है?

पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत पात्र लाभार्थियों को 3 लाख रुपये तक का लोन बेहद कम ब्याज दर पर दिया जाता है। लोन प्रक्रिया को दो चरणों में पूरा किया जाता है:

1. पहला चरण:
पहले चरण में लाभार्थियों को 1 लाख रुपये तक का लोन दिया जाता है। इस लोन को 18 महीने के अंदर चुकाना होता है।

2. दूसरा चरण:
पहले चरण का लोन सफलतापूर्वक चुकाने के बाद लाभार्थियों को दूसरे चरण में 2 लाख रुपये तक का लोन मिलता है। इसे 30 महीने में चुकाना होता है।

लोन पर ब्याज दर महज 5% रखी गई है, जिससे कारीगरों पर वित्तीय बोझ कम पड़ता है। इसके अलावा, सरकार लोन पर इंटरेस्ट सब्सिडी भी देती है, ताकि कारीगर आसानी से इस राशि का उपयोग कर अपने व्यवसाय को आगे बढ़ा सकें।

पीएम विश्वकर्मा योजना के लाभार्थियों को अन्य सुविधाएं

प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के तहत सिर्फ लोन ही नहीं, बल्कि कई अन्य सुविधाएं भी कारीगरों को प्रदान की जाती हैं। इनमें शामिल हैं:

  • कौशल प्रशिक्षण: योजना के तहत लाभार्थियों को आधुनिक तकनीकों और व्यवसाय के लिए आवश्यक कौशल की ट्रेनिंग दी जाती है। यह प्रशिक्षण 5-7 दिन का होता है, जिसके लिए सरकार उन्हें 500 रुपये प्रतिदिन का स्टाइपेंड भी देती है।
  • उपकरणों की सहायता: कारीगरों को उनके व्यवसाय के लिए जरूरी उपकरणों की खरीद पर 15,000 रुपये तक की आर्थिक मदद दी जाती है।
  • डिजिटल पेमेंट और मार्केटिंग सपोर्ट: योजना के तहत कारीगरों को डिजिटल लेन-देन के लिए ट्रेनिंग दी जाती है ताकि वे आधुनिक व्यापार प्रणाली का हिस्सा बन सकें। साथ ही, उनके उत्पादों की मार्केटिंग के लिए सरकार विशेष प्रबंध भी कर रही है।
  • रजिस्ट्रेशन प्रमाणपत्र और आईडी कार्ड: योजना में शामिल होने वाले लाभार्थियों को एक विशेष रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट और आईडी कार्ड दिया जाता है, जिससे वे विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ ले सकें।

कौन लोग उठा सकते हैं इस योजना का लाभ?

पीएम विश्वकर्मा योजना का लाभ केवल उन्हीं कारीगरों को मिलेगा जो निम्नलिखित शर्तों को पूरा करते हैं:

  • लाभार्थी को भारत का नागरिक होना चाहिए।
  • परंपरागत कारीगर जैसे बढ़ई, लोहार, कुम्हार, दर्जी, मोची, सुनार, राजमिस्त्री, हथकरघा बुनकर, और अन्य हस्तशिल्पी इस योजना के पात्र हैं।
  • लाभार्थी की उम्र 18 वर्ष या उससे अधिक होनी चाहिए।
  • पहले से किसी अन्य सरकारी योजना के तहत लोन न लिया हो।

योजना के लिए आवेदन प्रक्रिया

प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के लिए आवेदन करना बेहद सरल है। आवेदन प्रक्रिया इस प्रकार है:

1. ऑनलाइन पंजीकरण:
लाभार्थी PM Vishwakarma Yojana की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। आवेदन के लिए आधार कार्ड, बैंक खाता विवरण और मोबाइल नंबर जैसे दस्तावेजों की आवश्यकता होती है।

2. CSC सेंटर के माध्यम से आवेदन:
ग्रामीण क्षेत्रों के लाभार्थी अपने नजदीकी कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) में जाकर ऑफलाइन आवेदन भी कर सकते हैं।

3. प्रवेश और सत्यापन प्रक्रिया:
आवेदन जमा करने के बाद संबंधित विभाग द्वारा सत्यापन किया जाता है। इसके बाद लाभार्थी को योजना में शामिल किया जाता है।

योजना का लाभार्थियों पर प्रभाव

इस योजना से अब तक हजारों कारीगर लाभान्वित हो चुके हैं। कारीगरों का मानना है कि प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना उनके व्यवसाय के लिए एक नई उम्मीद बनकर आई है।

उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश के एक कुम्हार रामेश्वर बताते हैं, “पहले हमें लोन के लिए बैंकों के चक्कर लगाने पड़ते थे। अब सरकार ने न सिर्फ लोन दिया, बल्कि हमें ट्रेनिंग और उपकरण खरीदने की मदद भी की। इससे हमारा काम बेहतर हुआ है और आय भी बढ़ी है।”

निष्कर्ष – Pradhan Mantri Vishwakarma Yojana

प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना छोटे कारीगरों और हस्तशिल्पियों के लिए एक क्रांतिकारी कदम है। इसके तहत मिलने वाले 3 लाख रुपये तक के लोन, कौशल प्रशिक्षण और उपकरणों की आर्थिक मदद से कारीगरों के जीवन में बदलाव आ रहा है। यह योजना न केवल परंपरागत हुनर को संरक्षित करने का काम कर रही है, बल्कि लाखों कारीगरों को आत्मनिर्भर बनने की दिशा में प्रेरित कर रही है।

सरकार का यह कदम “वोकल फॉर लोकल” के लक्ष्य को भी साकार कर रहा है, जिससे भारतीय कारीगरों के उत्पाद वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना सकें।

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